
वसंत पंचमी के त्योहार का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। वसंत पंचमी तिथि के बाद से ही वसंत ऋतु की शुरुआत हो जाती है। वसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-आराधना का विशेष महत्व होता है। वसंत पंचमी के दिन पीले कपड़े पहनने का विशेष महत्व होता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर देवी सरस्वती का जन्म हुआ था। मुहूर्त शास्त्र में वसंत पंचमी की तिथि को अबूझ मुहूर्त माना जाता है, जिसमें किसी भी शुभ कार्य को करने में मुहूर्त का विचार नहीं करते। वसंत पंचमी पर कई तरह के शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है। इस वसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त में विद्यारंभ, गृह प्रवेश, विवाह और नई वस्तु की खरीदारी के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। प्रकृति के इस उत्सव को महाकवि कालीदास ने इसे ”सर्वप्रिये चारुतर वसंते” कहकर अलंकृत किया है। गीता में भगवान श्री कृष्ण ने ”ऋतूनां कुसुमाकराः” अर्थात मैं ऋतुओं में वसंत हूँ कहकर वसंत को अपना स्वरूप बताया। वसंत पंचमी के दिन ही कामदेव और रति ने पहली बार मानव ह्रदय में प्रेम और आकर्षण का संचार किया था।